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Thursday, October 10, 2013

♥ पतंग ♥ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

 अपनी बालकृति 
"हँसता गाता बचपन" से
 
बालकविता
♥ पतंग ♥
नभ में उड़ती इठलाती है।
मुझको पतंग बहुत भाती है।।

रंग-बिरंगी चिड़िया जैसी,
लहर-लहर लहराती है।।

कलाबाजियाँ करती है जब,
मुझको बहुत लुभाती है।।

इसे देखकर मुन्नी-माला,
फूली नहीं समाती है।।

पाकर कोई सहेली अपनी,
दाँव-पेंच दिखलाती है।।

बहुत कष्ट होता तब मुझको।
जब पतंग कट जाती है।।

7 comments:

  1. आपकी इस उम्दा रचना को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -२२ निविया के मन से में शामिल किया गया है कृपया अवलोकनार्थ पधारे

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  2. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय-
    नवरात्रि / विजय दशमी की शुभकामनायें-
    (१५ दिन की छुट्टी पर हूँ-सादर )

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  3. बहुत सुन्दर सरल सुबोध जानकारी का खजाना है यह प्रस्तुति। बालकों के लिए अनुपम भेंट।

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  4. वाह बहुत सुंदर बाल रचना
    कमाल का लेखन है ,आपका गुरुवर
    साधुवाद

    सादर

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