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Sunday, March 23, 2014

"देशी फ्रिज" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

अपनी बालकृति 
"हँसता गाता बचपन" से
बालकविता
"देशी फ्रिज"
"
पानी को ठण्डा रखती है,
मिट्टी से है बनी सुराही।
बिजली के बिन चलती जाती,
देशी फ्रिज होती सुखदायी।।

छोटी-बड़ी और दरम्यानी,
सजी हुई हैं सड़क किनारे।
शीतल जल यदि पीना चाहो,
ले जाओ सस्ते में प्यारे।।

इसमें भरा हुआ सादा जल,
अमृत जैसा गुणकारी है।
प्यास सभी की हर लेता है,
निकट न आती बीमारी है।।

अगर कभी बाहर हो जाना,
साथ सुराही लेकर जाना।
घर में भी औ' दफ्तर में भी,
इसके जल से प्यास बुझाना।। 

4 comments:

  1. अति सुन्दर पर्यावरण सम्मत पोस्ट ग्रीन पोस्ट ग्रीन नौनिहालों के लिए

    "देशी फ्रिज"

    पानी को ठण्डा रखती है,
    मिट्टी से है बनी सुराही।
    बिजली के बिन चलती जाती,
    देशी फ्रिज होती सुखदायी...
    हँसता गाता बचपन

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  2. Wah wah. Aapka jawaab nahi.

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  3. शानदार कविता. जय हो.

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